टेंशन को मेंटल डिजीज माना जाता है लेकिन इसकी वजह से कई फिजिकल डिजीजेज भी जन्म ले सकती हैं। ऐसा टेंशन की वजह से स्रावित होने वाले कुछ केमिकल्स की वजह से होता है। इसलिए इन बीमारियों के होने पर आपको चेक करना होगा कि कहीं आप टेंशन के पेशेंट तो नहीं!
आप यह तो जानते हैं कि टेंशन, डिप्रेशन या एंग्जायटी जैसी मानसिक बीमारियों से हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट डिजीज या डायबिटीज जैसे रोग भी हो सकते हैं।लेकिन आपकी यह जानकारी अधूरी है।
इन मानसिक समस्याओं के चलते आपको कुछ ऐसी बीमारियां भी झेलनी पड़ सकती हैं, जिनके बारे में जानकर आपको यकीन नहीं होगा। इनके बारे में जानिए और इनसे मुक्ति पाने के लिए इनके इलाज के साथ टेंशन को दूर करने का भी प्रयास करना होगा।
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कहने का मतलब है कि टेंशन अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आ सकती है। ऐसे में इससे दूर रहने में ही भलाई है। बावजूद इसके अगर आप टेंशन से ग्रस्त हो जाएं तो इसका तुरंत ट्रीटमेंट शुरू कर दें, अन्यथा आपको कई और बीमारियों को भी झेलना पड़ेगा।
आप यह तो जानते हैं कि टेंशन, डिप्रेशन या एंग्जायटी जैसी मानसिक बीमारियों से हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट डिजीज या डायबिटीज जैसे रोग भी हो सकते हैं।लेकिन आपकी यह जानकारी अधूरी है।
इन मानसिक समस्याओं के चलते आपको कुछ ऐसी बीमारियां भी झेलनी पड़ सकती हैं, जिनके बारे में जानकर आपको यकीन नहीं होगा। इनके बारे में जानिए और इनसे मुक्ति पाने के लिए इनके इलाज के साथ टेंशन को दूर करने का भी प्रयास करना होगा।
दाद और खाज-खुजली
टेंशन का असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है और जिससे एक हार्मोन हिस्टैमिन रिलीज होता है। इसी की वजह से खाज-खुजली होती है। टेंशन से त्वचा पर खुजली और दाद भी हो सकते हैं। इसके अलावा अगर कोई त्वचा की क्रोनिक बीमारियों जैसे एक्जिमा, सोरायसिस से पीड़ित है तो ये और बढ़ सकती हैं।बुरे सपने
टेंशन के कारण बुरे सपने आने लगते हैं। इसमें दुर्घटना, व्यापार में नुकसान, जॉब छूटने, घर में आग लगने आदि के सपने देखने लगते हैं। टेंशन की वजह से नींद बार-बार खुलती है और नींद खराब होने से भी बुरे और अशुभ सपने आते हैं।वजन बढ़ना
टेंशन की वजह से एक हार्मोन कार्टीसोल उत्पन्न होता है। यह मीठी और फैटी चीजें खाने की इच्छा जागृत करता है। मीठे से शरीर में मौजूद एड्रीनल ग्लैंड से टेंशन देने वाले हार्मोन और ज्यादा स्रावित होने लगते हैं और फिर मीठा खाने की इच्छा और जागती है। इस तरह से यह चक्र चलता जाता है। नतीजा, शरीर में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स और फैट्स इकट्ठा हो जाते हैं और वजन बढ़ने लगता है।मेमोरी में कमी
टेंशन से नींद कम आती है। इसलिए जब आप सोकर उठते हैं तो थके होते हैं। साथ ही टेंशन से दिमाग के एक हिस्से हिप्पोकैंपस का आकार कम हो जाता है, जो मेमोरी से भी जुड़ा होता है। दिलचस्प बात यह है कि जैसे ही टेंशन कम होती है, हिप्पोकैंपस भी सामान्य आकार में लौटने लगता है।दांतों में दर्द
कई लोग जब टेंशन में होते हैं तो सोते समय दांत किटकिटाते हैं या फिर जबड़ा चलाते हैं। इससे न सिर्फ दांतों में दर्द होने लगता है बल्कि उनमें कैविटी होने की संभावना भी अधिक हो जाती है।पेट में दर्द और आईबीएस
टेंशन आपका पेट भी गड़बड़ कर सकता है। आईबीएस के अधिकतर मामलों में डायग्नोसिस करने पर टेंशन को ही इसकी मूल वजह बताया जाता है। एक रिसर्च में पता चला है कि जिन लोगों में टेंशन का स्तर ज्यादा था, उनमें पेट दर्द की शिकायत तीन गुना ज्यादा थी। टेंशन से पेट की आंतें संवेदनशील हो जाती हैं।यह भी पढ़ेंः इन कारणों से शरीर में आता है एचआईवी वायरस, जानें एड्स होने के कारण और लक्षण
पीरियड्स में अधिक दर्द
टेंशन में रहने वाली महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में पीरियड्स के दौरान दोगुना दर्द होता है। रिसर्च के मुताबिक, टेंशन से शरीर में हार्मोन संतुलन गड़बड़ा जाता है, जिससे दर्द उठता है।एलर्जी और सर्दी जुकाम
टेंशन से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इससे बार-बार सर्दी जुकाम होने की संभावना बढ़ने लगती है। असल में जो लोग टेंशन से ग्रसित होते हैं, उनके रोग प्रतिरोधक सेल्स, इंफेक्शन से लड़ने वाले हार्मोन के प्रति कम संवेदनशील होती हैं। जिससे तुरंत जुकाम हो जाता है।कील-मुंहासे
टेंशन से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ जाता है, जो मुंहासों का सबब बन जाता है। फिर एक बार चेहरे पर मुंहासे आ गए तो उन्हें देखकर टेंशन और बढ़ जाता है, नतीजन मुंहासे भी बढ़ जाते हैं।कहने का मतलब है कि टेंशन अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आ सकती है। ऐसे में इससे दूर रहने में ही भलाई है। बावजूद इसके अगर आप टेंशन से ग्रस्त हो जाएं तो इसका तुरंत ट्रीटमेंट शुरू कर दें, अन्यथा आपको कई और बीमारियों को भी झेलना पड़ेगा।
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